साहिल सलीम : संघर्ष की एक बेमिसाल कहानी
ये सफर शुरू होता है 26 मार्च, 1995 को जन्मे "साहिल सलीम " से जिन्होने एक आम बच्चे की तरह ही अपने घर के आँगन में क्रिकेट खेलना शुरू किया | उम्र के साथ-साथ साहिल के अंदर क्रिकेट का जुनून भी बढ़ने लगा, जुनून ऐसा की क्रिकेट के सिवा ना तो कुछ दिखाई देता और ना ही सुनाई | स्कूल और स्टेडियम के मैचेस में अच्छा प्रदर्शन करने पर इनके एक करीबी रिश्तेदार ने इन्हे कर्नाटक जाने की सलाह दी |
वर्ष 2009 में छोटे से शहर का ये लड़का क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए कर्नाटक आ गया | इन्होने प्रेसीडेन्सी स्कूल में एक राइट आर्म लेग स्पिन बॉलर के रूप में ट्रायल दिया |
इनकी गेंदबाजी की कला को देखकर प्रेसीडेन्सी स्कूल के हेड श्री प्रशांत काफी प्रभावित हुए और उन्होने इनका चयन कर लिया | एक बेहतरीन गेंदबाज होने के चलते इन्हे जल्द ही एक मैच खेलने को मिला , जिसमे इन्हे अपने दमदार खेल के बल पर स्कूल की सौ प्रतिशत स्कॉलरशिप मिली |
साल 2009 में इन्होने साउथ-जोन पॉली उमरीगर टूर्नामेंट में 21 विकेट लेने के साथ बल्लेबाजी में 175 रनो का योगदान दिया | इसी साल के अंत में कर्नाटक के सर्वश्रेष्ठ भावी क्रिकेटरो की सूची में शामिल होते हुए इन्होने कर्नाटक के लिए फर्स्ट डिवीज़न क्रिकेट खेला | इन्ही मैचेस के दौरान मनीष पांडे और के. बी. पवन जैसे नामी बल्लेबाजो का विकेट लेकर एक अच्छे गेंदबाज के रूप में चयनकर्ताओं की नजरो में आये | फर्स्ट डिवीज़न में अच्छे प्रदर्शन के बाद इन्हे कर्नाटक प्रीमियर लीग खेलने का मौका मिला, इन्हे मलंद ग्लैडिएटर टीम ने ख़रीदा | जल्द ही इन्हे अपनी मेहनत और अच्छे प्रदर्शन के बल पर स्टेट लेवल पर खेलने का अवसर मिला |
कर्नाटक के लिए अपने डेब्यू मैच में इन्होने 50 रन बनाये और गोवा के खिलाफ अविश्वसनीय प्रदर्शन करते हुए पहली पारी में 9 और दूसरी पारी में 3 विकेट के साथ मैच में कुल 12 विकेट अपने नाम किये |
साहिल की कड़ी मेहनत व लगन का ही परिणाम था कि साल 2010-11 सीजन की अंडर-16 विजय मर्चेन्ट ट्रॉफी में खेलते हुए इन्होने मात्र 7 मैचेस में 33 विकेट लेकर, सर्वाधिक विकेट लेने वालो की सूची में मोनू सिंह, कुलदीप यादव के बाद तीसरा स्थान हासिल किया | जिसके कारण इन्हे इंडिया अंडर-16 कैंप करने का मौका मिला | इसी दौरान एक समाचार पत्र ने इनकी प्रशंसा में ये लिखा की साहिल निकट भविष्य में रणजी ट्रॉफी खेलने के प्रबल दावेदार हैं |
साहिल सलीम द्वारा समाचार पत्र को दिया गया इंटरव्यू |
साल 2011 के अन्त में इनका चयन N.C.A. (नेशनल क्रिकेट अकादमी ) कैंप के लिए हुआ | जिसमे इन्होने कुलदीप यादव, संजू सैमसन, दीपक हुड्डा, प्रत्युष सिंह जैसे खिलाडियों के साथ हिस्सा लिया |
साल 2011 के अन्त में इनका चयन N.C.A. (नेशनल क्रिकेट अकादमी ) कैंप के लिए हुआ | जिसमे इन्होने कुलदीप यादव, संजू सैमसन, दीपक हुड्डा, प्रत्युष सिंह जैसे खिलाडियों के साथ हिस्सा लिया | लेकिन कैंप में ट्रेनिंग के दौरान ऐसा मुश्किल समय भी आया जिसके बारे में साहिल ने कभी सोचा नहीं था | कई साल प्रैक्टिस के बाद गेंदबाजी में परफेक्ट हो चुके साहिल को कैंप में कोच ने अपने बोलिंग ऐक्शन और रन-अप में बदलाव करने को कहा, जो साहिल के लिए सहज नहीं था | पर वो इतने प्रभावी कोच की बात टाल नहीं सके और नये बोलिंग ऐक्शन के साथ प्रैक्टिस करने लगे | लेकिन एक गेंदबाज के रूप में सालो से जिस एक्शन और रन-अप के साथ वो गेंदबाजी कर रहे थे उसे छोड़कर सिर्फ 40 दिनों के कैंप में नये एक्शन और रन-अप के साथ वापस वही लय पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत ही मुश्किल व लगभग नामुमकिन है | N.C.A. कैंप में साहिल ने कई बार ये बताया की नया एक्शन उन्हें बिल्कुल भी नहीं भा रहा और उनकी गेंदबाजी में इससे कोई सुधार नहीं आ रहा, पर वहाँ उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया |
कैंप ख़त्म होने के बाद इन्होंने कर्नाटक के लिए अंडर-25 मैचेस खेले पर नये ऐक्शन सूट न करने की वजह से इनका प्रदर्शन कुछ ख़ास न रहा | ऐसा समय भी आया जब इन्हे सामान्य मैचेस में भी विकेट नहीं मिले और इन्हे आलोचकों का सामना करना पड़ा | जो लोग कभी साहिल की तारीफ करते थकते नहीं थे, आज वही लोग इनके खिलाफ बाते करने लगे थे | साहिल अपने सपने को बहुत करीब से टूटता हुआ देख रहे थे | इन सभी घटनाओ के कारण वे अंदर से टूट से गये और घर वापस जाने का फैसला किया | घर के हालात ख़राब होने के कारण वे वापस कर्नाटक न जा सके और लगभग 2 सालो तक क्रिकेट से पूरी तरह दूर हो गये | इस बुरे दौर के बावजूद भी क्रिकेट के लिए उनका जुनून कम नहीं हुआ |
ये रनिंग और एक्सरसाइज के बहाने ग्राउंड जाते रहते और बच्चो को क्रिकेट खेलता देखकर सुकून महसूस करते | बच्चो को गलत स्किल्स और तकनीक के साथ खेलता देख वह उन्हें सही स्किल्स और तकनीक सिखाने लगे | इनके अच्छे दिशा-निर्देश और व्यवहार की वजह से कई लोग इनसे जुड़ते चले गये | कुछ समय बाद इन्होने बच्चो को अच्छी कोचिंग और प्रैक्टिस देने के लिए एक अकादमी खोली जिसका नाम इन्होने "S.S. CRICKET ACADEMY" रखा |
ये बच्चो को बहुत ही कम पैसो में अच्छी कोचिंग और प्रैक्टिस कराने लगे | आज ये बहुत से बच्चो के साथ अपनी क्रिकेटिंग नॉलेज साझा कर रहे है | ये आज बहुत से ऐसे बच्चो की उम्मीद है जो महंगी और बड़ी क्रिकेट अकादमी में कोचिंग लेने में समर्थ नहीं है | साहिल इस शहर में बहुत से ऐसे बच्चो की इंस्पिरेशन है जो क्रिकेटर बनने का सपना देखते है |
यह सच है की शायद हर किसी का हर सपना पूरा नहीं हो सकता पर अगर हम कोशिश भी न करे तो ये गलत बात है और कामयाबी न मिलने पर हार मान के निराश होकर बैठ जाना उससे भी ज्यादा गलत बात है | वक़्त चाहे कितना भी बुरा क्यों न हो वो गुजर जाता है बस हमे कोशिश करना नहीं छोड़ना चाहिए|
जैसा की साहिल सलीम हमे सिखाते है, उन्होंने बुरा दौर देखा, निराश भी हुए पर हार नहीं मानी बल्कि उम्मीद बन गए बहुत से बच्चो की जो क्रिकेटर बनने का सपना अपनी आँखों में लिए हैं | एक ऐसा सपना जिसे साहिल ने खुद जिया और आज वे बहुत से भावी क्रिकटेरो के उस सपने को सच करने का हौसला दे रहे है|
ये रनिंग और एक्सरसाइज के बहाने ग्राउंड जाते रहते और बच्चो को क्रिकेट खेलता देखकर सुकून महसूस करते | बच्चो को गलत स्किल्स और तकनीक के साथ खेलता देख वह उन्हें सही स्किल्स और तकनीक सिखाने लगे | इनके अच्छे दिशा-निर्देश और व्यवहार की वजह से कई लोग इनसे जुड़ते चले गये | कुछ समय बाद इन्होने बच्चो को अच्छी कोचिंग और प्रैक्टिस देने के लिए एक अकादमी खोली जिसका नाम इन्होने "S.S. CRICKET ACADEMY" रखा |
ये बच्चो को बहुत ही कम पैसो में अच्छी कोचिंग और प्रैक्टिस कराने लगे | आज ये बहुत से बच्चो के साथ अपनी क्रिकेटिंग नॉलेज साझा कर रहे है | ये आज बहुत से ऐसे बच्चो की उम्मीद है जो महंगी और बड़ी क्रिकेट अकादमी में कोचिंग लेने में समर्थ नहीं है | साहिल इस शहर में बहुत से ऐसे बच्चो की इंस्पिरेशन है जो क्रिकेटर बनने का सपना देखते है |
यह सच है की शायद हर किसी का हर सपना पूरा नहीं हो सकता पर अगर हम कोशिश भी न करे तो ये गलत बात है और कामयाबी न मिलने पर हार मान के निराश होकर बैठ जाना उससे भी ज्यादा गलत बात है | वक़्त चाहे कितना भी बुरा क्यों न हो वो गुजर जाता है बस हमे कोशिश करना नहीं छोड़ना चाहिए|
जैसा की साहिल सलीम हमे सिखाते है, उन्होंने बुरा दौर देखा, निराश भी हुए पर हार नहीं मानी बल्कि उम्मीद बन गए बहुत से बच्चो की जो क्रिकेटर बनने का सपना अपनी आँखों में लिए हैं | एक ऐसा सपना जिसे साहिल ने खुद जिया और आज वे बहुत से भावी क्रिकटेरो के उस सपने को सच करने का हौसला दे रहे है|
Proud to be a part of Sahil bhaiya's fam.
ReplyDeleteI feel grateful and want to express my gratitude.
Thank you Sahil bhaiya for everything you have done for me.
Your brother from another mother. I miss you a lot.
Krishnesh
Sahil Saleem will be remembered as 'A Talent Unfulfilled'.
ReplyDeleteHe is got great Coaching skills
Best wishes for him.
Amazing.......
ReplyDeleteNice one bro u have told me each n evry thing about this great person
ReplyDeleteMy coach sahil bhaiya main bhi enki academy ka 1 year tk member rha hun you are great bhaiya
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